नया फन, या पुराना दस्तूर

सीखते हैं
ये भी फ़न
मजबूर हो कर
दुनिया से
वक़्त से
खुद से भी;
ढूँढते हैं
खुद को
ख़ामोशियों में
कभी मिली गर कहीं

कुचलते हैं ख़्वाब हम भी।